समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /272 मार्च 2023
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 19.03.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 19.03.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
शोभा रस्तोगी शोभा
01. नदी
गई रात
नीला शुभ्र आसमां
उतर आया नदी पे
चाँद तारों के साथ
और नदी
झिलमिला उठी
भर रात डूबते उतराते रहे
खूब नहाते रहे सितारे
चाँद घना उजला हो गया
नभ नीलिमा नदी में सो गई
सुबह नदी उदास थी
02. साथ तेरा
रही चाहत सदा
तेरे साथ की
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रेखाचित्र : सिद्धेश्वर |
जिन्न नहीं अलादीन के
कि मेरे सवालों को
माकूल हल मिल जाये
तुम्हारे साथ होने पर भी
सवाल तो टँगे रहते हैं हमेशा
बस, उनका पैनापन भोथरा हो जाता है
- आर जेड डब्ल्यू-208-बी, डी.डी.ए. पार्क रोड, राजनगर-2, पालम कालोनी, नई दिल्ली-77/मो. 09650267277
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