समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /258 दिसम्बर 2022
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02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 11.12.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
प्रगति गुप्ता
01.
आज कुछ ऐसा लिखें
कि पढ़ तो सब लें
पर समझ सिर्फ तेरी आये
मैं तुझ तक पहुँच जाऊँ
और तू मुझे
महसूस कर जाये...
02.
तुम खुशबू की तरह ही रहे
मेरे आस-पास
हर लम्हा हर वक्त
जो एहसासों में
महसूस तो हो,
पर नज़र ना आए कभी...
03.
वो कुछ ऐसे एहसास है थे
तुमसे जुड़े
जो मेरे लबों की
मुस्कुराहट बन पड़े-
जिन्हें चुराया था
तुझसे ही मैंने...
तुझे खबर ही नहीं
पर देख-
मेरे जीने के मायने बदल गये...
04.
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रेखाचित्र : डॉ. सुरेन्द्र वर्मा |
साये से घूमते हो
मेरे आस-पास
फिर क्यों पूछते हैं
दुनिया वाले
तन्हा-तन्हा से लगते हो
खोये-खोये से रहते हो...
- 58, सरदार क्लब स्कीम, जोधपुर-342001, राज./मो. 07425834878
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