समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /231 जून 2022
क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 05.06.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 05.06.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
ज्योत्स्ना प्रदीप
उसका
छल, कपट, झूठ
बना गया
प्रेम के घने वृक्ष को
पल भर में
ठूँठ!
02. वध
तुम
लौटा ही नहीं सकते
मेरा
वो प्रेम से भरा
कोमल मन
दोबारा,
उसे कल रात
तूने ही तो मारा !!
![]() |
छायाचित्र : उमेश महादोषी |
03. तर्पण
मेरे
विशुद्ध प्रेम के भाव,
त्याग और समर्पण...
मेरे ही
आँसुओं की नदी में
कर गया वो आज
उनका तर्पण!
- देहरादून, उ.खण्ड/ईमेल: jyotsanapardeep@gmail.com /मो. 06284048117
No comments:
Post a Comment