समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /218 मार्च 2022
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 06.03.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 06.03.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
राजेश ’ललित’
01. ख़ुशियाँ फिर से
इतनी बेचैनियों
के बीच बिखरा
जीवन इधर-उधर
ढूँढ रहा मैं
रखकर भूल गया था
अपने ही पल्लू में बँधी
ख़ुशियाँ अपार मिलीं।
02. सूरज
सूरज ने
खिलखिला कर
भर दिया
संसार में रंग
लाल गुलाबी
कभी सुनहरा
कभी पीला
अकेलेपन का
अहसास रहा
सालता
हर रोज
सुबह से शाम तक
03.
चलो ढूँढें
छायाचित्र : उमेश महादोषी |
फिर से
वो खिलखिलाती
हँसी
गुम हो गई थी
जो बचपन की गली
तुम्हें मिले तो
कुछ हँसी मेरी
भी ले आना
निश्छल हँसे ज़माना
गुज़र गया।
- बी-9/ए, डीडीए फ़्लैट, निकट होली चाईल्ड स्कूल, टैगोर गार्डन विस्तार, नई दिल्ली-27/मो. 09560604484
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