समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /215 फरवरी 2022
क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 13.02.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 13.02.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
पुष्पा मेहरा
01.
सूरज सरीखे पिता जीवन भर
परिवार का अँधेरा हरते ,
हमारी तमन्नाओं की धरती पर
भविष्य की जड़ें पुख्ता करते रहे
हम भर नींद सोते ही रहे!
02.
आग की ज्वलनशीलता का
आभास होता तो
चमक की दीवानी मैं-
सबकी आँख बचा
अपना हाथ क्यों जला बैठती
शायद मैं अति अबोध थी!
रेखाचित्र : संध्या तिवारी |
03.
नफ़रत और हिंसा
एक धधकन तो दूसरी ज्वाला
उठती ज्वालाओं पर
शिकंजा कसा
लेकिन धधकन पर कैसे
वह मेरे इतनी क़रीब होगी
मालूम ना था ......
- बी-201, सूरजमल विहार, दिल्ली-92/फ़ोन 011-22166598
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