समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /205 दिसंबर 2021
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 12.12.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 12.12.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
महिमा श्रीवास्तव वर्मा
01.
स्नेह रज्जु,
टूटकर जुड़े तो
गाँठ पड़ जाती है
जो, चुभ-चुभकर दिल को
टूटकर जुडने का
अहसास कराती है
02.
तुमने चुरा कर दिया था
एक टुकड़ा,
फूल सी ज़िंदगी का
वरना हमने तो अब तक
काँटों भरी ज़िंदगी को ही जिया था
03.
ठूँठ हो गये वृक्ष ने,
कटते हुए सोचा ये,
काश!
जवानी की मस्ती में झूम-झूमकर
सारे पत्ते न गिराये होते!
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रेखाचित्र : सिद्धेश्वर |
04.
मौसम बदल रहा है
अपना क़िरदार
देखो न!
अब फिर से वो
बेमौसम बदल रहा है
- ऑलिव-261, रुचि लाइफस्कैप्स, जाटखेड़ी, होशंगाबाद रोड, भोपाल-462026, म.प्र./मो. 07974717186
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