समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /194 सितम्बर 2021
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 19.09.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 19.09.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
हरिश्चन्द्र शाक्य
01. निकलती चुहिया
आम आदमी की
ज़िन्दगी का
बस इस तरह
चल रहा पहिया,
खोदता पहाड़
निकलती चुहिया!
02. कागज की नाव
पर्वत-सा भार
यदि होगा
काग़ज की
नाव पर सवार
डूबना निश्चित,
वर्तमान खतरे में
भविष्य अनिश्चित!
![]() |
रेखाचित्र : बी मोहन नेगी |
03. एक झूठ
एक झूठ
सत्य की
राह में अड़ा
सौ-सौ सत्यों पर
भारी पड़ा!
- शाक्य प्रकाशन, घण्टाघर चौक, क्लब घर, मैनपुरी-205001, उ.प्र./मो. 09411440154
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