Sunday, June 6, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

 समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /179                     जून 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 06.06.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


शील कौशिक




01. खालीपन


आँखों में बस जाने के बाद

तेरी आँखों का अजनबीपन खलता है

मेरी तरह क्या

तेरे अंदर भी कुछ गलता है


02. प्रेम में


मैंने जब भी प्रेम लिखा

सुनहरी ख्वाबों का नूर बरसा

खुद की नजरों में

रेखाचित्र : मॉर्टिन जॉन 
खुद को हूर समझा


03. आईना


कमाल की खोज है आईना

आदमी की प्रकृति की तरह

जब चाहे जब तब

कितनी ही देर तक

अपने सामने से हटने ही नहीं देता

  • मेजर हाउस नं. 17, हुडा सेक्टर-20, पार्ट-1, सिरसा-125055, हरि./मो. 09416847107 

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