Sunday, February 16, 2020

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 /111                              फरवरी 2020



क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }

रविवार : 16.02.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


शैलेष गुप्त ‘वीर’







01.

अचानक उभरी
मोबाइल की स्क्रीन पर
उसकी खिलखिलाती तस्वीर,
फिर बस गये
स्मृतियों के महानगर!

02.

शब्द चुक गये
अक्षर उड़ गये
रेखाचित्र : डॉ. सुरेन्द्र वर्मा
लो फिर
याद आ गयी
तुम्हारी!

03.

तुम फूल भी हो
टहनी भी हो
जड़ भी हो
तुम्हारे बिन सम्भव नहीं
अस्तित्व गुलाब का!

  • 24/18, राधा नगर, फतेहपुर-212601, उ.प्र./मो. 09839942005

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