Sunday, June 23, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 77                 जून 2019


क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श क्षणिका विमर्श }


रविवार : 23.06.2019

        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


विश्वेश्वर शरण चतुर्वेदी







01.

फिर मन उद्भ्रान्त हुआ
किसी एक उपग्रह सा
मैं तुमको ‘ध्रुव’ मान
रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 
बहुत घूमा हूँ

02.

तुम
तितलियों से बेहतर
तुम 
नागिनों से बढ़कर
पर हम भी, तुम समझ लो
फ़नकार आदमी हैं

  • 164/10-2, मौ. बाजार कला, उझानी-243639, जिला बदायूँ (उ.प्र.)/मो. 09997833538

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