Sunday, July 29, 2018

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 36                  जुलाई 2018


रविवार  :  29.07.2018 


‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा। 
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 

अमरेन्द्र सुमन



01. वह करीब होती है....

संघर्षों में
टिमटिमाती रौशनी की तरह

गहरी नींद में
मुस्कुराते स्वप्न की तरह

तिरस्कार में
जीवित आश्वासन की तरह

और अशांति में
पूर्ण विश्राम की तरह

मेरी दुनिया जब भी गरीब होती है
बिना औपचारिकता के वह करीब होती है। 
छायाचित्र : अभिशक्ति गुप्ता

02. प्रेम का व्यापार 

पेड़ की टहनियों से
असमय गिरते पत्तों की तरह 
दिख रहा था उसका प्यार 

प्रतीत होता था 
प्रेम नहीं
वह कर रही हो 
प्रेम का व्यापार 
            
  • ‘‘मणि बिला’’, केवट पाड़ा (मोरटंगा रोड) दुमका, झारखण्ड/मो. 09431779546

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