Sunday, January 21, 2018

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-03 / 08                      जनवरी 2018



रविवार  :  21.01.2018 


‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा। 

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!



अंजु दुआ जैमिनी






01.
रखा था चूंकि
पैर पूँछ पर
भाया न था
उसका आशय
निकाल फेंका
बलात्कारी ने
उसका गर्भाशय!

02. श्राप

अकेलेपन को श्राप मान
कब तक जीते रहोगे
नीड़ छोड़ उड़ गया जो
निश्चित ही लौटकर
नहीं आएगा
पर इतना तय है
कि अपने बनाए नीड़ में

इक दिन वह भी
तन्हा रह जाएगा!

03. दूर बहुत
मुट्ठी में तेरी
छायाचित्र : डॉ. बलराम अग्रवाल 
मैं सोनचिरैया
उड़ने न देता
प्रेम जताता,
कभी-कभार
खोलता मुट्ठी
भींच लेता फिर चटाचट
इस कदर है सताता

  • 839, सेक्टर-21सी, फरीदाबाद, हरियाणा/ मो. 09810236253

No comments:

Post a Comment