Sunday, December 17, 2017

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका             ब्लॉग अंक-03 / 03                    दिसम्बर  2017



रविवार  :  17.12.2017

‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।


मंजूषा मन



01.

दीवार पर टँगे 
कलेण्डर से हो गए हैं 
लोग,

गहरे दबा छुपा लेते हैं
इस्त्री किये चेहरे के पीछे
दर्द की रेखाएँ।

02.

आसान नहीं 
देख पाना
चेहरे के पीछे का चेहरा

और उस पर
कुछ लोगों के
कई-कई चेहरे हैं।

03.

कुछ ज़ख्मों का
न भरना ही अच्छा...

अपनी भूलों का 
एहसास 
बना रहता है।

04.
दुःख की सांकल
दर्द की बेड़ियाँ,
बाँधे मन 
जकड़े तन
टूटे न किसी सूरत
मन में बसी मूरत।
रेखाचित्र :
बी. मोहन नेगी
 

05.

सरल था कहना
उससे भी सरल था
सुन लेना...

पर... 
कठिन था
समझ पाना
और 
सहना सबसे कठिन...

  • द्वारा अम्बुजा सीमेंट फाउंडेशन, भाटापारा, ग्राम : रवान (Rawan)
जिला : बलौदा बाजार (Baloda Bazar)-493331, छत्तीसगढ़/मो. 09826812299

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