Saturday, August 27, 2016

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-02

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016


क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’  के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित सुधा गुप्ता जी की क्षणिकाएँ।

सुधा गुप्ता


01. तुम्हें विदा दे ज्यों ही मुड़ी, देहरी के पार एक साथ यादें करने लगीं कदम ताल....

 02. रात-माँ बड़ी, परेशान थी रात-माँ सर्दी न खा जाएँ कहीं शरारती बच्चे तारे कोहरे का कम्बल ओढ़ा कर ऊँचे पलँग पर बैठा दिया है....

03. मृग-जल
रेखाचित्र :बी.मोहन नेगी 
हौले-से तुमने/तपता मेरा हाथ छुआ, और पूछा- ‘अब कैसी हो?’ .....झपकी आई थी!
  04. अंजुरि में अंजुरि में भर तो ली थी जलधार जाने कब रीत गई चोट/बहुत गहरी बड़ी गहरी थी भरने की कोशिश में उम्र सभी बीत गई... 05. लादी- तुम्हें भी ढोनी थी और मुझे भी इसे क़िस्मत कहो या कर्मफल तुम्हें मिली नमक की लादी और मुझे कपास की...
  • 120 बी/2, साकेत, मेरठ-250003, उ.प्र./फोन: 0121-2654749

3 comments:

  1. इन्हें देख चुका हूं । फिर से साधुवाद ।

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  2. इन्हें देख चुका हूं । फिर से साधुवाद ।

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  3. बहुत सुंदर क्षणिकएँ सुधा गुप्ता जी । बहुत बधाई ।

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